हमारी प्रिय "बड़ी दीदी" को जगद्गुरु कृपालु परिषत्: प्रकाशन विभाग की ओर से एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि
जगद्गुरु कृपालु परिषत्: प्रकाशन विभाग, भारी मन से, अपनी प्यारी और पूज्य बड़ी दीदी, सुश्री डॉ विशाखा त्रिपाठी जी को हार्दिक श्रद्धांजलि
जगद्गुरु कृपालु परिषत्: प्रकाशन विभाग, भारी मन से, अपनी प्यारी और पूज्य बड़ी दीदी, सुश्री डॉ विशाखा त्रिपाठी जी को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
हमारे गुरुदेव, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज को आज हम भगवान् के ऐसे अवतार के रूप में स्मरण करते हैं जो भगवान् की ही भांति सत्यसंकल्प थे। वे अपने अपूर्व भक्ति ग्रंथ, प्रेम रस मदिरा में, अध्याय "महासखी मधुरी" में श्री राधा रानी की आठ प्रमुख सखियों में से एक, विशाखा सखी के गुणों का वर्णन करते हैं। विशाखा सखी की विशेषता यह है कि वे श्री राधा रानी की निरंतर संगी होने के साथ ही उन्ही के समान रूपवान भी हैं, जिसके कारण उन्हें अनुराधा नाम भी मिला। श्री महाराज जी उनका वर्णन इस प्रकार करते हैं:
यह कोई संयोग नहीं था कि श्री महाराज जी ने बड़े प्यार से हमारी बड़ी दीदी का नाम "विशाखा" रखा, क्योंकि इस पद का प्रत्येक शब्द उनके दिव्य व्यक्तित्व के साथ पूरी तरह से मेल खाता है।
उन्होंने सभी के लिए "प्यारी सो अति प्यार" (प्रिया प्रियतम के लिए अपार प्रेम) के सार को विस्तृत किया, और वैदिक मंत्र "सर्वं खल्विदं ब्रह्म" को साकार किया - जिसका अनुवाद है "वास्तव में यह सब ब्रह्म है"। आपने सम्पूर्ण संसार को श्री राधा रानी के दिव्य रूप का विस्तार माना और सभी पर अपना प्रेम और संरक्षण बरसाया।
बड़ी दीदी कृपा, दृढ़ संकल्प और निस्वार्थ भक्ति की प्रतिमूर्ति थीं। उनका दमकता अलौकिक सौंदर्य, जिसमे हल्की कोमल गुलाबी चमक थी, जैसे उनके कृपालु हृदय का प्रत्यक्ष रूप था। इतना कोमल स्वभाव होते हुए भी, उनके पास एक अटूट संकल्प और प्रबल इच्छाशक्ति थी जिसने उनके आस-पास के सभी लोगों को प्रेरित किया।
उनकी दैनिक दिनचर्या, सुबह 2 बजे से प्रारम्भ हो जाती थी। उनका दिन दूसरों के लाभ के लिए ज़ूम मीटिंग्स के साथ शुरू होता था, और देर रात तक प्रचारकों, अधिकारियों और भक्तों के साथ भविष्य की योजना बनाने में खिंच जाता था, जो उनकी अथक सेवा और अटूट प्रतिज्ञा का साक्षी था। गुड़ाकेश की तरह, वे आराम और चैन की नींद से परे थीं, अपने जीवन के हर पल को श्री महाराज जी के मिशन के लिए समर्पित कर रही थीं ।
"गुरु" ग्रह द्वारा निग्रहित, विशाखा नक्षत्र के वास्तविक गुणों, ज्ञान, धैर्य और अपने पारिवारिक, आध्यात्मिक और सामाजिक जिम्मेदारियों पर महारत का बड़ी दीदी ने श्रेष्ठ प्रदर्शन किया। उनका जीवन दिव्य गुणों और मानवीय उत्कृष्टता का एक आदर्श मिश्रण था, जो सभी के लिए एक प्रकाशस्तंभ के रूप में कार्य करता था।
बलवती माया सदा हमें श्री महाराज जी के चरण कमल से विचलित करने के लिए तैयार रहती है। हालाँकि, आपके दिव्य जीवन और शिक्षाओं से प्रेरित होकर, हम प्रचारक, एकजुट हो कर आपके पावन चरणों में एक गूढ़ प्रतिज्ञा करते हैं: हम श्री महाराज जी के सपनों को पूरा करने के लिए अपना तन, मन और आत्मा, सब समर्पित करेंगे।
चाहे वह महाराज जी का संग्रहालय पूरा करना हो, निशुल्क शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा का समर्थन करना हो, या गरीबों एवं असहाय वर्ग के कल्याण के लिए अथक परिश्रम करना हो, हम इन नेक प्रयासों में योगदान देने के लिए सदा दृढ़ रहेंगे।
हाँथ जोड़कर, समर्पित हो कर, हम प्रिय मझली दीदी और छोटी दीदी के साथ मिलकर काम करने का भी संकल्प लेते हैं, जो शक्ति एवं साहस के स्तंभ के रूप में खड़े हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि श्री महाराज जी के हर संकल्प को अटूट प्रतिबद्धता के साथ पूरा किया जाए।
बड़ी दीदी, आशा और दृढ़ संकल्प से भरे हुए आपके प्रेरक संदेश, हमारे मार्ग को प्रकाशित करते रहेंगे। आपको यह विश्वास दिलाते हैं कि हम श्री महाराज जी द्वारा स्थापित दिव्य ट्रस्ट, आश्रमों और मंदिरों की सेवा के लिए पूरी तरह से खुद को समर्पित करेंगे।
आदरणीय बड़ी दीदी, हम आपके पूज्य चरणों में अनगिनत अभिवादन और शाश्वत कृतज्ञता के साथ नतमस्तक हैं।
आपकी विरासत के गौरव को आगे बढ़ाने के प्रयास में आपकी स्मृति हमेशा हमारे हृदयों में अंकित रहेगी।
Prem Ras Siddhant is an unparalleled scripture. Our revered Guruvar has presented the essence of the Vedas, Upanishads, Bhagavat, Gita, and Ramayana before us. The entire world will remain forever indebted to him for his scriptures and what he did and gave to the world. Today, we proudly declare that
Everyone knows worldly attainments are transient and God is the only reality. When a death occurs we say, rama nama satya hai, "The only reality is the name of God." When we know that the world cannot give us happiness, then to make material demands from God is
जगद्गुरु कृपालु परिषत्: प्रकाशन विभाग, भारी मन से, अपनी प्यारी और पूज्य बड़ी दीदी, सुश्री डॉ विशाखा त्रिपाठी जी को हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
हमारे गुरुदेव, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज को आज हम भगवान् के ऐसे अवतार के रूप में स्मरण करते हैं जो भगवान् की ही भांति सत्यसंकल्प थे। वे अपने अपूर्व भक्ति ग्रंथ, प्रेम रस मदिरा में, अध्याय "महासखी मधुरी" में श्री राधा रानी की आठ प्रमुख सखियों में से एक, विशाखा सखी के गुणों का वर्णन करते हैं। विशाखा सखी की विशेषता यह है कि वे श्री राधा रानी की निरंतर संगी होने के साथ ही उन्ही के समान रूपवान भी हैं, जिसके कारण उन्हें अनुराधा नाम भी मिला। श्री महाराज जी उनका वर्णन इस प्रकार करते हैं:
यह कोई संयोग नहीं था कि श्री महाराज जी ने बड़े प्यार से हमारी बड़ी दीदी का नाम "विशाखा" रखा, क्योंकि इस पद का प्रत्येक शब्द उनके दिव्य व्यक्तित्व के साथ पूरी तरह से मेल खाता है।
उन्होंने सभी के लिए "प्यारी सो अति प्यार" (प्रिया प्रियतम के लिए अपार प्रेम) के सार को विस्तृत किया, और वैदिक मंत्र "सर्वं खल्विदं ब्रह्म" को साकार किया - जिसका अनुवाद है "वास्तव में यह सब ब्रह्म है"। आपने सम्पूर्ण संसार को श्री राधा रानी के दिव्य रूप का विस्तार माना और सभी पर अपना प्रेम और संरक्षण बरसाया।
बड़ी दीदी कृपा, दृढ़ संकल्प और निस्वार्थ भक्ति की प्रतिमूर्ति थीं। उनका दमकता अलौकिक सौंदर्य, जिसमे हल्की कोमल गुलाबी चमक थी, जैसे उनके कृपालु हृदय का प्रत्यक्ष रूप था। इतना कोमल स्वभाव होते हुए भी, उनके पास एक अटूट संकल्प और प्रबल इच्छाशक्ति थी जिसने उनके आस-पास के सभी लोगों को प्रेरित किया।
उनकी दैनिक दिनचर्या, सुबह 2 बजे से प्रारम्भ हो जाती थी। उनका दिन दूसरों के लाभ के लिए ज़ूम मीटिंग्स के साथ शुरू होता था, और देर रात तक प्रचारकों, अधिकारियों और भक्तों के साथ भविष्य की योजना बनाने में खिंच जाता था, जो उनकी अथक सेवा और अटूट प्रतिज्ञा का साक्षी था। गुड़ाकेश की तरह, वे आराम और चैन की नींद से परे थीं, अपने जीवन के हर पल को श्री महाराज जी के मिशन के लिए समर्पित कर रही थीं ।
"गुरु" ग्रह द्वारा निग्रहित, विशाखा नक्षत्र के वास्तविक गुणों, ज्ञान, धैर्य और अपने पारिवारिक, आध्यात्मिक और सामाजिक जिम्मेदारियों पर महारत का बड़ी दीदी ने श्रेष्ठ प्रदर्शन किया। उनका जीवन दिव्य गुणों और मानवीय उत्कृष्टता का एक आदर्श मिश्रण था, जो सभी के लिए एक प्रकाशस्तंभ के रूप में कार्य करता था।
बलवती माया सदा हमें श्री महाराज जी के चरण कमल से विचलित करने के लिए तैयार रहती है। हालाँकि, आपके दिव्य जीवन और शिक्षाओं से प्रेरित होकर, हम प्रचारक, एकजुट हो कर आपके पावन चरणों में एक गूढ़ प्रतिज्ञा करते हैं: हम श्री महाराज जी के सपनों को पूरा करने के लिए अपना तन, मन और आत्मा, सब समर्पित करेंगे।
चाहे वह महाराज जी का संग्रहालय पूरा करना हो, निशुल्क शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा का समर्थन करना हो, या गरीबों एवं असहाय वर्ग के कल्याण के लिए अथक परिश्रम करना हो, हम इन नेक प्रयासों में योगदान देने के लिए सदा दृढ़ रहेंगे।
हाँथ जोड़कर, समर्पित हो कर, हम प्रिय मझली दीदी और छोटी दीदी के साथ मिलकर काम करने का भी संकल्प लेते हैं, जो शक्ति एवं साहस के स्तंभ के रूप में खड़े हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि श्री महाराज जी के हर संकल्प को अटूट प्रतिबद्धता के साथ पूरा किया जाए।
बड़ी दीदी, आशा और दृढ़ संकल्प से भरे हुए आपके प्रेरक संदेश, हमारे मार्ग को प्रकाशित करते रहेंगे। आपको यह विश्वास दिलाते हैं कि हम श्री महाराज जी द्वारा स्थापित दिव्य ट्रस्ट, आश्रमों और मंदिरों की सेवा के लिए पूरी तरह से खुद को समर्पित करेंगे।
आदरणीय बड़ी दीदी, हम आपके पूज्य चरणों में अनगिनत अभिवादन और शाश्वत कृतज्ञता के साथ नतमस्तक हैं।
आपकी विरासत के गौरव को आगे बढ़ाने के प्रयास में आपकी स्मृति हमेशा हमारे हृदयों में अंकित रहेगी।
गहन श्रद्धा के साथ,
जगद्गुरु कृपालु परिषत्: प्रकाशन विभाग
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